अमेरिका के एक टॉप वैज्ञानिक ने कहा है कि कोरोना संकट से उबारने में भारत के वैक्सीन ने अहम भूमिका निभाई है. ह्यूस्टन के बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के डीन डॉ पीटर होट्ज ने कहा कि भारत में बने वैक्सीन पूरी दुनिया के लिए एक उपहार जैसा है.
ह्यूस्टन: कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर भारत की हर ओर तारीफ हो रही है. अमेरिका के एक टॉप वैज्ञानिक ने कहा कि भारत ने कोविड-19 वैक्सीन को लॉन्च कर पूरी दुनिया को महामारी से बाचाया है. ऐसे में भारत के योगदान को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए. चिकित्सा के क्षेत्र में ज्ञान और अनुभव के आधार पर कोरोना महामारी के दौरान भारत को फॉर्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की संज्ञा दी गई है.
वैज्ञानिक ने कहा कि भारत दवा का एक बहुत बड़ा बाजार है और कई देशों ने कोरोना वायरस टीके के लिए उससे संपर्क किया है.
ह्यूस्टन के बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के डीन डॉ पीटर होट्ज ने हाल ही में एक वेबिनार के दौरान कहा कि mRNA के दो टीके दुनिया के निम्न और मध्यम आय वाले देशों को प्रभावित नहीं कर सकते हैं, लेकिन भारत का टीका, जो ऑक्सफोर्ड सहित कई देशों के यूनिवर्सिटी के सहयोग से बनी है, पूरी दुनिया को इस महामारी से बचाने में कारगर साबित हो रही है. ऐसे में भारत के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता।
भारत ने जिन दो कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है, उसमें एक कोविशील्ड है. ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका से लाइसेंस प्राप्त करने के बाद पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में इसका उत्पादन किया जा रहा है. वहीं, कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी टीका है, जिसे भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से विकसित किया है. इस वेबिनार का आयोजन ग्रेटर ह्यूस्टन के इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा किया गया था.
होट्ज ने कहा कि वैक्सीन के आने से लोगों के कोरोना संक्रमण से गंभीर होने और अस्पताल में भर्ती होने में कमी आई है. साथ ही संक्रमण को रोकने में भी मदद मिल रही है. वेबिनार में भारत के महावाणिज्य दूत असीम महाजन भी मौजूद थे. बता दें कि भारते ने श्रीलंका, भूटान, मालदीव सहित कई अन्य देशों को टीके की 56 लाख डोज भेजा है.
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